गुरुवार, 2 अप्रैल 2009

हिरामन के किस्सा भोजपुरिया भाई


बड़ी दिन से हम सोचत रहीं कि हमहूँ ब्लॉग्गिंग स्टार्ट करीं .आज उ दिन आख़िर आईये गईल जे हम अब ब्लोगियावल शुरू करब .रउरा सभे के जमात में तनिसा घुसपैठ करेके इच्छा बा,उम्मीद इहे बा जे छोट भाई हिरामन के रउरा सभन के प्यार अउर प्रोत्साहन मिली.एही उम्मीद से आज शुरुआत भईल बा .हिरामन के रेलगाडी सिवान जक्शन से चल के जीरादेई होते देवरिया गोरखपुर के रस्ते दिल्ली यूनिवर्सिटी ले आईल बा .एहिजा हम रीसर्चियावत बानी हिन्दी विभाग में ,माने रिसर्चर हईं

हमार पोस्ट कुल गाँव-घर के आपन किस्सा- कहानी रही.

अच्छा अगिला पोस्ट से धुँआधार पोस्ट डालब

तब तक

राम-राम